रेरा के नियमों को ताक पर रखकर की जा रही अवैध प्लाटिंग

रेरा के नियमों को ताक पर रखकर की जा रही अवैध प्लाटिंगप्र, शासन मौन
मानकविहीन प्लाटिंग कर प्रापर्टी डीलर हो रहे मालामाल
राहुल तिवारी
जिले में अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर यहां खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। स्थिति यह है कि शहर के आसपास इलाकों में रोज कहीं ना कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। जिला मुख्यालय सहित आसपास के इलाकों में इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोर-शोर से हो रहा है। नगर पंचायत बंथरा व भागू खेड़ा सहित अन्य नगरीय निकाय क्षेत्रों व आस पास के गांवों में बड़े स्तर पर अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है। यहां बिल्डर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) को दरकिनार कर लोग प्लाट बेच रहे हैं। इसके चलते प्लाट खरीदने वाले लोग भविष्य में परेशानी में फंस सकते हैं।
शहर व आसपास के गांव से लगे खेतों की बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले कच्ची सड़क तैयार करते हैं इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते है। कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कॉलोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए। लेकिन, बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी बन रहे हैं बल्कि खेत खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। वहीं शहर में ऐसी कई कालोनियां हैं जिनके अवैध प्लाटिंग के मामले विभागों में लंबित हैं।
लखनऊ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी बिल्डर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले बिल्डर वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें पक्की नाली, सड़क, बिजली व पानी का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध करायेगा मगर जिला मुख्यालय सहित अन्य नगरीय निकायों में अवैध प्लाटिंग का खेल जोरों पर चल रहा है। यहां कई एकड़ खेतों की अवैध प्लाटिंग कर खरीददारों को बेचा जा रहा है। यहां प्लाट खरीदने वाले को अंधेरे में रखकर प्लाटिंग की जा रही है। इसके चलते प्लाट लेने वाले खरीददार भविष्य में फंस सकते हैं।
मगर यहां नोटिस देने के अलावा बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है।
रेरा के नियमों का पालन नहीं होने पर बिल्डर पर कार्रवाई का प्रविधान है। गड़बड़ी करने वालों पर जहां रेरा उसकी योजना की लागत का दस प्रतिशत तक जुर्माना कर सकती है। वहीं किसी मामले में एफआइआर होने पर सजा का भी प्रविधान एक्ट में है। रेरा के अनुसार एक्ट की वजह से यह भी तय है कि जिनका पंजीयन रेरा में होगा, उन बिल्डरों पर लोग भरोसा कर सकेंगे। बिल्डर द्वारा कोई भी अतिरिक्त इजाफा या परिवर्तन के बारे में पहले खरीददारों को सूचना देना होगा। साथ ही किसी भी या बदलाव के बारे में दो से तीन क्रेताओंकी मंजूरी की जरूरत होगी, रजिस्ट्रेशन से पहले किसी तरह का लांचिंग या विज्ञापन नहीं किया जाएगा, अगर बहुमत अधिकार तीसरे पक्ष को ट्रांसफर किया जाना है तो सहमति की जरूरत होगी, प्रोजेक्ट प्लान, ले-आउट, सरकारी मंजूरी और लैंड टाइटल स्टेटस और उप ठेकेदारों की जानकारी साझा करना, वहीं वक्त पर प्रोजेक्ट पूरा होकर ग्राहकों को मिल जाए, इस पर जोर दिया जाएगा।
जिले में अवैध प्लाटिंग का खेल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई कॉलोनाइजर्स ऐसे भी हैं जो दो-चार एकड़ जमीन का डायवर्सन कराकर 10 से 15 एकड़ जमीन पर कालोनी का निर्माण करा रहे हैं। वहीं रेरा के नियमानुसार भूमि के डायवर्सन होने जाने के बाद ही उस भूमि का ले आउट पास किया जाता है लेकिन रेरा के नियमों को भी दरकिनार कर बिना डासवर्सन वाली भूमि का ले-आउट पास कर दिया जा रहा है। अच्छे ब्रोशर, थ्रीडी फोटो दिखाकर ऊंची कीमत पर प्लाट और घर बेचने के बाद भी कालोनाइजर्स सुविधाएं नहीं देते। ज्यादातर कालोनियों में रहने वाले बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने से परेशान हैं। नाली, पानी की निकासी, विद्युत व्यवस्था, सीवर लाइन नहीं होने के साथ कुछ जगह तो सड़कें भी नहीं बनाई गई हैं।
प्लाट बेचने से पहले कालोनाइजर्स सड़क, नालियां, बिजली के खंबे, पार्क और पानी आदि सुविधाएं देने का लालच देते हैं लेकिन प्लाट बेचने के बाद कालोनाइसर्ज द्वारा बुनियादी व्यवस्था नहीं कराई जाती। कालोनाइजर्स द्वारा रहवासियों को सुविधाएं देना तो दूर बिजली के खंभे लगवाने के नाम पर उनसे पैसे लेकर धोखाधड़ी भी की जाती है। वर्तमान में शहर में संचालित कई कालोनियों में रहवासियों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
ऐसे बिल्डर जिन्होंने बरसों पहले आवासीय परिसर बनाकर लोगों को बेचे, लेकिन तब ब्रोशर में जिन सहूलियतों की घोषणा की थी, लेकिन दी नहीं तो संबंधित विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में शिकायत कर सकेंगे। ऐसे कालोनाइजरों के लिए ही केन्द्र सरकार ने रेरा कानून लागू किया है। नए बिल्डरों को इसमें पंजीयन करवाना जरूरी है। इसके साथ ही पुराने खरीदार भी शिकायत कर सकते हैं।
नियमानुसार निजी भूमि पर कालोनी का निर्माण कराने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है। कालोनाइजर को संबंधित नगर निगम से डायवर्सन के लिए एनओसी लेनी होगी। कालोनाइजर को ट्रांसफार्मर, पानी, सड़क का निर्माण कराना होगा। पार्क के लिए भूमि आरक्षित रखनी होगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से भी कालोनी निर्माण के लिए अनुमति लेनी होगी। एक एकड़ से कम क्षेत्र में कालोनी बनाई जा रही है तो वर्तमान रेट का 15 प्रतिशत आश्रय शुल्क जमा करना पड़ता है, अगर एक एकड़ से ज्यादा जमीन है तो एयर डिस्टेंस दो किमी के भीतर ईडब्ल्यूएस बनाने के लिए जमीन छोडनी पड़ती है।
 
					 
					



