उत्तर प्रदेशलखनऊसमग्र समाचार

शंख ध्वनि, राम नाम की जयकार लगाते हुए श्रद्धालु पहुंचे नगवा कोथावा

सीताराम के जयकारों से गूंजायमान हुआ नगवा कांेथावा

गोंदलामऊ/सीतापुर। रामनाम के सहारे आस्था की डगर पर चल रहा रामादल गुरुवार को परिक्रमा के तीसरे पडाव नगवा कोथावा पहुंच गया। श्रद्धालुओं के पहुंचते ही पडाव राममय हो गया। संतो महंतो की टोलियां, बच्चे बुजुर्ग महिला सभी श्रद्धालुओं ने रामनाम का जयकारा लगाते हुए पडाव पर विश्राम के लिए आसन लगा दिए। संतो के साथ सत्संग भजन कीर्तन के बाद श्रद्धालु भोजन की व्यवस्था करते दिखे। पहला आश्रम के डंके वाले बाबा महंत नारायण दास उर्फ नन्हकू दास की आवाज के साथ शुरू हुई पौराणिक चौरासी कोसीय परिक्रमा शनिवार तड़के सुबह चार बजे परिक्रमा के तीसरे पड़ाव नगवा कोथावा की ओर कूच कर गई। हरैया पडाव पर भजन कीर्तन व रात्रि विश्राम के बाद शंखधवनि व रामनाम का जयकारा लगाते हुए श्रद्धालुओं का काफिला नगवा कोथावा पडाव के लिए निकला। दोपहर तक श्रद्धालुओं का जत्था तीसरे पडाव नगवा कोथावा पहुंच गया। परिक्रमार्थियों के पहुंचते ही नगवा पडाव धर्मनगरी मे बदल गया। सीताराम सीताराम के जयकारे गूंजने लगे। कथा भागवत की आवाज सुनाई देने लगी।

हत्याहरण तीर्थ की पौराणिक कहानी
अतरौली कोथावां मार्ग पर कोथावां में स्थित हत्याहरण तीर्थ अपनी पौराणिक मान्यताओं के चलते भाद्रपद मास में श्रद्धालुओं से परिपूर्ण रहता है। उल्लेखनीय है कि इस तीर्थ की नीव देवों के देव महादेव ने डाली थी। शिव पुराण में वर्णन है कि माता पार्वती के साथ भगवान भोले नाथ एकांत अरण्य(जंगल)कि खोज में निकले और नैमिषारण्य क्षेत्र में विहार करते हुए एक जंगल में जा पहुचे। वहां पर सुरम्य जंगल मिलने पर वहा तपस्या करने लगे। तपस्या करते हुए माता पार्वती को प्यास लगी जंगल में कही जल ना मिलने पर उन्होंने देवताओं से पानी के लिए कहा। तब भगवान सूर्य ने एक कमंडल जल दिया। जलपान करने के बाद बचे जल को उन्होंने जमीन पर गिरा दिया। तेजस्वी पवित्र जल से वहा पर एक कुण्ड का निर्माण हुआ। जाते वक्त भगवान शंकर ने इस स्थान का नाम प्रभास्कर क्षेत्र रखा। यह कहानी सतयुग की है। काल बीतते रहे। द्वापर में ब्रम्हा द्वारा अपनी पुत्री पर कुदृष्टि डालने पर पाप लगा। उन्होंने इस तीर्थ में आकर स्नान किया तब वह पाप मुक्त हुए। तब इस तीर्थ का नाम ब्रम्ह क्षेत्र पड़ा। त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने रावण का बध किया तो भगवान राम के हाथ में बपल जम आया और ब्रम्ह हत्या लगी। तब गुरु के कहने पर भगवान राम ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए इस तीर्थ पर आये और स्नान कर पाप धुले तब जाकर ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त हुए। तब त्रेता से आज तक इस स्थान का नाम हत्या हरण पड़ा। तब भगवान राम ने कहा था जो इस स्थान पर आकर स्नान करेगा वह पाप मुक्त हो जायेगा हत्या मुक्त हो जायेगा। यहाँ पर राम का एक बार नाम लेने से हजार नामो का लाभ मिलेगा। यहां भाद्रपद मास के रविवारों को स्नान दान का अधिक महत्म्य है।

अदभुद विरासत का प्रतीक है नागवंशीय राजाओं का स्थान नगवा कोथावां
फाल्गुन मास की तृतीया को परिक्रमा हरैय्या से चलकर हत्याहरण तीर्थ पहुंचती है। कहते हैं, जाने-अनजाने में मनुष्य से जो पाप होते हैं, वह सभी इस तीर्थ में स्नान करने से नष्ट हो जाते हैं। कुछ लोग इसे नागवंशीय राजाओं का स्थान भी मानते हैं। मान्यता है कि नगवा पद्यनाभ नामक नागराज का स्थान है। यहां पर भादों महीने में प्रतिवर्ष हर रविवार को बड़ा मेला लगता है। इस मेले में उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य प्रांतों से भी श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस परिक्रमा पड़ाव स्थल पर कोथावां गोपाल क्षेत्र तीर्थ है। इसी गोपाल क्षेत्र की परिक्रमा करते हैं। शिव, श्रीविष्णु बाला जी मंदिर कोथावां में हैं। गिरजा-विरजा तीर्थ, मोटेमल महादेव मंदिर पाप, नार्मदेश्वर तीर्थ के दर्शन होते हैं।

आज गिरधरपुर कूच करेंगे परिक्रमार्थी
आज परिक्रमार्थी नगवा कोथावां में रात्रि विश्राम कर अगले दिन चौथे पड़ाव स्थल गिरधरपुर उमरारी के लिए कूच करेंगे। परिक्रमार्थी यहाँ पर ऋण मोचन तीर्थ एवं सूर्यनारायण मंदिर आदि पवित्र स्थल के दर्शन करेंगे।

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