उत्तर प्रदेशमनोरंजन

पसमांदा मुस्लिमों का शोषण कर रहीं सपा, बसपा, कांग्रेस और AIMIM जैसी पार्टियां

लखनऊ: नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधान मंत्री है, जिन्होंने मुस्लिम समुदाय में दबे कुचले पसमांदा पिछडे जिसमे दलित जाति के 70 पसमांदा जातियो का ज़िक्र किया, यह देश के भारतीय मूल के मुस्लिम है और मुस्लिम समाज मे 85% कुल जनसख्या का हिस्सा है, कांग्रेस ने इन मुसलमानो को संविधान की धारा- 341 में शामिल नही किया, जबकि 1956 में सिखों व 1991 में नवबौद्ध को शामिल करना मुस्लिम वोट बैंक जो 1989 तक बना रहा धोखा घड़ी नही तो क्या, क्या नेहरू और इंद्रा गांधी विदेशी मूल के मुस्लिम नेतृत्व से इतनी प्रभावित थी के 85 %भारतीय मूल के हज़ारो साल के दबे कुचले मुस्लिम नही याद आये,अंग्रेज़ो ने जिन जुलाहे बुनकरों के अंगूठे काट लिए अपना कपड़ा बाजार में लाने का लिए ।

क्योंकि यह मुस्लिम दलित समान पिछड़ी जाति लोकतंत्र वोट की संख्या के आधार पर एमएलए, एमपी बन सकते थे जो विदेशी मूल के पाकिस्तान के जनक और बाकी बचे कुलीन मुस्लिम जो कांग्रेस पर काबिज थे उनके बराबर में बैठ जाते जो कभी 660 साल के मुस्लिम मुग़ल तुर्क खान देश भर में शासन में नही बैठ पाये न ही इन्हें समाज मे बराबरी आज़ाद हिदुस्तान व अंगेज़ों के दौर में मिली,हालत यह के कांग्रेस ने 1956 में दलित सिखों को 1991 में नाव बोद्ध को शामिल किया पर मौजूद संसद के मुस्लिम सदस्यों जिसमे मक्का के मौलाना आज़ाद,बुखारा के इमाम बुखारी,देवबन्द के मदनी मौलाना लोग,बरैली के आलाहज़रत के लोग,मसलक मसलक जिन के फतवो को यह पसमांदा भारतीय मुसलमान खुदा रसूल के बाद मानता था सभी ने अपने सियासी उल्लू सभी सरकारों में उठाये पर कभी 85%हिंदुस्तानी मूल के दबे कुचले अंग्रेज़ो के दौर में अंगूठा कटवाए बुनकर जुलाहों धुनों,कुंजड़ों राईनी, बंजारों, महीगीरो, ख़ुमरो लालबेगी मुस्लिम बाल्मीकि, कोरी सहित 70 जातियो की सुध तो पिछडो के ब्रांड वाले यादवो व दबे कुचले पर 4 -4 बार यूपी जैसे पसमांदा बाहुल्य को कुल 20 %में 16%आबादी नेतृत्व होने के बाद एमएलसी राज्यसभा सदस्य तक नही दिए। वोट बैंक समझ दोहन किया।

जवाहरलाल, इंद्रा गांधी जैसे मज़बूत प्रधान मंत्री हुए पर इन दलित मुस्लिम भारतीय जातियो को संविधान की मूल परिभाषा उद्देशिका का उल्लंघन कर हक़ नही दिया, राजीव गांघी को पसमांदा मुस्लिम समाज के बारे में बताया गया उनके चलाये पार्टी में कैडर बिल्डिंग प्रोग्राम में जेएनयू के प्रो0 इम्तियाज़ ने इस पर कांग्रेस कैडर में लेक्चर दिया तो बिहार में चन्द्र शेखर सरकार में अति पिछड़ा संकल्प शिक्षा में वज़ीफ़ा को कहा पर उनकी हत्या के बाद कांग्रेस के काबिज़ मुस्लिम नेतृत्व ने अपनी कोटरी से दलित अति पिछड़े मुस्लिम को एजेंडे से निकाल दिया। सपा और बसपा तक इसी लीक पर चले।

पसमांदा मुस्लिम का वोट ट्रांसफर बड़ी पार्टियों ने भी दरी फट्टा वाले पसमांदा मुस्लिम को टिकट नही दिए, प्रियंका अखिलेश के साथ खून बह कर पार्टी खड़ी करने वालो को 1989 से लगातार उपेक्षित की पुनरावृत्ति फिर बुरे वक्त 2022 में जानबूझ कर मरकज़, मसलकी देवबन्द इमामो के फतवो पर टिकी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों की मानसिकता ने भारतीय मूल के मुसलमानों को फिर सबसे सस्ता वोट की तरह स्तेमाल कर रहे है। उन्हें भरोसा है कि जाएगा कहा कोई बीजेपी को तो वोट करेगा नही, सब विदेशी मूल का नेतृत्व घेर कर वोट ले आएगा।

अफसोस कि बात है के बीजेपी को मुस्लिम के लिए अछूत का प्रचार प्रसार कराया गया,जब के नेतृत्व के अभाव जिसके लिए बीजेपी भी कही न कही ज़िम्मेदार है के अगर एमएलसी एमपी बीजेपी ने इन पांडे मुस्लिम धुंने जुलाहे जिनमे नेतृत्व की छमता है बनाये होते तो एक बटवारे सीधा सीधा विदेशी मूल और भारतीय मूल के मुस्लिम के बीच होता,क्यो के लाइन में चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम मुफ्त राशन बेघर को मकान ,छत्रवृत्ति,मनरेगा मज़दूरी,ई श्रम मज़दूर,किसान पेंशहन ग़रीब मुस्लिम काश्तकार को भी मिली।

पर यह भी सच है के बीजेपी का मुस्लिम नेतृत्व ।0.3% वाला भी इस सच्चाई से नावाकिफ है,इधर कुछ यूपी सरकार में उर्दू अकेडमी,मदरसा बोर्ड में कुछ पसमानन्दा नियुक्तियां हुई है,पर सपा बसपा व मुस्लिम संस्थाए मरकज़ मसलक का मुस्लिम नेतृत्व सिर्फ पसमानन्दा मुसलमान से चौराहों पर बीजेपी को गाली दिलवाता है और खुद योगी मोदी के साथ फोटो खिंचवाता है,या मुस्लिम वोट बाटने की तहरीक का मुसलमान नेता बन जाता है।और पसमांदा की आबादी को जज़्बाती तरीके से भड़काता है इधर यह उधर मोती पसमांदा के नाम पर सौदेबाज़ी।

देश मे अब पसमान्दा मुस्लिम अपने हको के लिए जागरूक हो रहा है ,पंचायत राज आरक्षण में यह वर्ग आरक्ष आबादी के नाम पर जीत कर आया है ,यह कैडर कुछ सालों में मुस्लिम राजनीति में यूपी बिहार झारखण्ड कश्मीर,बेंगाल एक परवर्तनवलाने कि ओर है झारखण्ड में सरकार के साथ सम्मानजनक हालत में खड़ा है।

मोदी जी वास्तव में 80-20 कई जगह सबका साथ सबके विकास में पसमानन्दा हज़ारों सालो से उपेक्षित इन भारतीय मूल हिन्दू डीएनए से परिवर्तित धर्मांतरित मुस्लिम के राजनीतिक समामाजिक बराबरी,341 में दलित समान मुस्लिम जातियो को 341 में शामिल और राज नाथ सिंह पैटर्न पर ओबीसी में जनसंख्या आधारी27% हिस्सेदारी का अध्यादेश संसद से पास करते है तो दावा है के देश फिर सोने चिड़िया सर्व धर्म समभाव का विश्व मॉडल बनेगा,यही सच्चा वसुधैव कुटुम्बकम होगा और विदेशी मूल के हुज़ूर के आखरी खुतबे से अलग बनाये धार्मिक फतवोअसमानता ऊंच नीच अशराफ अज़लाफ़ जैसे मुस्लिम धर्म के कोढ़ और भारतीय मुस्लिम को इस ग़ुलामी से आज़ादी मिलेगी,समाज मे समरसता के साथ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई एकता को बल मिलेगा,80-20 की जगह 50-50 संविधान की मूल उद्देश्य की भी प्राप्ति होगी। विचार कमेंट आमंत्रित लेखक परवेज़ हनीफ़,सामाजिक कार्यकर्ता एंनजीओ एक्टिविस्ट,सेक्रेटरी आल इंडिया मायनोरिटीज़ एनजीओज़ नेटवर्किंग ट्रस्ट,लखनऊलखनऊ: नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधान मंत्री है, जिन्होंने मुस्लिम समुदाय में दबे कुचले पसमांदा पिछडे जिसमे दलित जाति के 70 पसमांदा जातियो का ज़िक्र किया, यह देश के भारतीय मूल के मुस्लिम है और मुस्लिम समाज मे 85% कुल जनसख्या का हिस्सा है, कांग्रेस ने इन मुसलमानो को संविधान की धारा- 341 में शामिल नही किया, जबकि 1956 में सिखों व 1991 में नवबौद्ध को शामिल करना मुस्लिम वोट बैंक जो 1989 तक बना रहा धोखा घड़ी नही तो क्या, क्या नेहरू और इंद्रा गांधी विदेशी मूल के मुस्लिम नेतृत्व से इतनी प्रभावित थी के 85 %भारतीय मूल के हज़ारो साल के दबे कुचले मुस्लिम नही याद आये,अंग्रेज़ो ने जिन जुलाहे बुनकरों के अंगूठे काट लिए अपना कपड़ा बाजार में लाने का लिए । क्योंकि यह मुस्लिम दलित समान पिछड़ी जाति लोकतंत्र वोट की संख्या के आधार पर एमएलए, एमपी बन सकते थे जो विदेशी मूल के पाकिस्तान के जनक और बाकी बचे कुलीन मुस्लिम जो कांग्रेस पर काबिज थे उनके बराबर में बैठ जाते जो कभी 660 साल के मुस्लिम मुग़ल तुर्क खान देश भर में शासन में नही बैठ पाये न ही इन्हें समाज मे बराबरी आज़ाद हिदुस्तान व अंगेज़ों के दौर में मिली,हालत यह के कांग्रेस ने 1956 में दलित सिखों को 1991 में नाव बोद्ध को शामिल किया पर मौजूद संसद के मुस्लिम सदस्यों जिसमे मक्का के मौलाना आज़ाद,बुखारा के इमाम बुखारी,देवबन्द के मदनी मौलाना लोग,बरैली के आलाहज़रत के लोग,मसलक मसलक जिन के फतवो को यह पसमांदा भारतीय मुसलमान खुदा रसूल के बाद मानता था सभी ने अपने सियासी उल्लू सभी सरकारों में उठाये पर कभी 85%हिंदुस्तानी मूल के दबे कुचले अंग्रेज़ो के दौर में अंगूठा कटवाए बुनकर जुलाहों धुनों,कुंजड़ों राईनी, बंजारों, महीगीरो, ख़ुमरो लालबेगी मुस्लिम बाल्मीकि, कोरी सहित 70 जातियो की सुध तो पिछडो के ब्रांड वाले यादवो व दबे कुचले पर 4 -4 बार यूपी जैसे पसमांदा बाहुल्य को कुल 20 %में 16%आबादी नेतृत्व होने के बाद एमएलसी राज्यसभा सदस्य तक नही दिए। वोट बैंक समझ दोहन किया।
जवाहरलाल, इंद्रा गांधी जैसे मज़बूत प्रधान मंत्री हुए पर इन दलित मुस्लिम भारतीय जातियो को संविधान की मूल परिभाषा उद्देशिका का उल्लंघन कर हक़ नही दिया, राजीव गांघी को पसमांदा मुस्लिम समाज के बारे में बताया गया उनके चलाये पार्टी में कैडर बिल्डिंग प्रोग्राम में जेएनयू के प्रो0 इम्तियाज़ ने इस पर कांग्रेस कैडर में लेक्चर दिया तो बिहार में चन्द्र शेखर सरकार में अति पिछड़ा संकल्प शिक्षा में वज़ीफ़ा को कहा पर उनकी हत्या के बाद कांग्रेस के काबिज़ मुस्लिम नेतृत्व ने अपनी कोटरी से दलित अति पिछड़े मुस्लिम को एजेंडे से निकाल दिया। सपा और बसपा तक इसी लीक पर चले।
पसमांदा मुस्लिम का वोट ट्रांसफर बड़ी पार्टियों ने भी दरी फट्टा वाले पसमांदा मुस्लिम को टिकट नही दिए, प्रियंका अखिलेश के साथ खून बह कर पार्टी खड़ी करने वालो को 1989 से लगातार उपेक्षित की पुनरावृत्ति फिर बुरे वक्त 2022 में जानबूझ कर मरकज़, मसलकी देवबन्द इमामो के फतवो पर टिकी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों की मानसिकता ने भारतीय मूल के मुसलमानों को फिर सबसे सस्ता वोट की तरह स्तेमाल कर रहे है। उन्हें भरोसा है कि जाएगा कहा कोई बीजेपी को तो वोट करेगा नही, सब विदेशी मूल का नेतृत्व घेर कर वोट ले आएगा।
अफसोस कि बात है के बीजेपी को मुस्लिम के लिए अछूत का प्रचार प्रसार कराया गया,जब के नेतृत्व के अभाव जिसके लिए बीजेपी भी कही न कही ज़िम्मेदार है के अगर एमएलसी एमपी बीजेपी ने इन पांडे मुस्लिम धुंने जुलाहे जिनमे नेतृत्व की छमता है बनाये होते तो एक बटवारे सीधा सीधा विदेशी मूल और भारतीय मूल के मुस्लिम के बीच होता,क्यो के लाइन में चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम मुफ्त राशन बेघर को मकान ,छत्रवृत्ति,मनरेगा मज़दूरी,ई श्रम मज़दूर,किसान पेंशहन ग़रीब मुस्लिम काश्तकार को भी मिली।
पर यह भी सच है के बीजेपी का मुस्लिम नेतृत्व ।0.3% वाला भी इस सच्चाई से नावाकिफ है,इधर कुछ यूपी सरकार में उर्दू अकेडमी,मदरसा बोर्ड में कुछ पसमानन्दा नियुक्तियां हुई है,पर सपा बसपा व मुस्लिम संस्थाए मरकज़ मसलक का मुस्लिम नेतृत्व सिर्फ पसमानन्दा मुसलमान से चौराहों पर बीजेपी को गाली दिलवाता है और खुद योगी मोदी के साथ फोटो खिंचवाता है,या मुस्लिम वोट बाटने की तहरीक का मुसलमान नेता बन जाता है।और पसमांदा की आबादी को जज़्बाती तरीके से भड़काता है इधर यह उधर मोती पसमांदा के नाम पर सौदेबाज़ी।
देश मे अब पसमान्दा मुस्लिम अपने हको के लिए जागरूक हो रहा है ,पंचायत राज आरक्षण में यह वर्ग आरक्ष आबादी के नाम पर जीत कर आया है ,यह कैडर कुछ सालों में मुस्लिम राजनीति में यूपी बिहार झारखण्ड कश्मीर,बेंगाल एक परवर्तनवलाने कि ओर है झारखण्ड में सरकार के साथ सम्मानजनक हालत में खड़ा है।
मोदी जी वास्तव में 80-20 कई जगह सबका साथ सबके विकास में पसमानन्दा हज़ारों सालो से उपेक्षित इन भारतीय मूल हिन्दू डीएनए से परिवर्तित धर्मांतरित मुस्लिम के राजनीतिक समामाजिक बराबरी,341 में दलित समान मुस्लिम जातियो को 341 में शामिल और राज नाथ सिंह पैटर्न पर ओबीसी में जनसंख्या आधारी27% हिस्सेदारी का अध्यादेश संसद से पास करते है तो दावा है के देश फिर सोने चिड़िया सर्व धर्म समभाव का विश्व मॉडल बनेगा,यही सच्चा वसुधैव कुटुम्बकम होगा और विदेशी मूल के हुज़ूर के आखरी खुतबे से अलग बनाये धार्मिक फतवोअसमानता ऊंच नीच अशराफ अज़लाफ़ जैसे मुस्लिम धर्म के कोढ़ और भारतीय मुस्लिम को इस ग़ुलामी से आज़ादी मिलेगी,समाज मे समरसता के साथ हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई एकता को बल मिलेगा,80-20 की जगह 50-50 संविधान की मूल उद्देश्य की भी प्राप्ति होगी। विचार कमेंट आमंत्रित लेखक परवेज़ हनीफ़,सामाजिक कार्यकर्ता एंनजीओ एक्टिविस्ट,सेक्रेटरी आल इंडिया मायनोरिटीज़ एनजीओज़ नेटवर्किंग ट्रस्ट,लखनऊ

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