Uncategorized

हे पत्रकारों के नेताओं, वीर योद्याओं, लोकतंत्र के स्वघोषित चौथे खंभे के रक्षकों, उठो, जागो, देखो द्विवार्षिक महापर्व आने वाला है। अरे! अब तो वादे निभाओ। अपने कर्तव्यों को पूरा करो। साक्षात हनुमान जी बार बार मुझसे यही बात कह रहे थे कि अचानक मेरी नींद खुल गईं और सपना टूट गया। नमस्कार मैं हूं सुयश मिश्रा आप देख रहे हैं समग्र चेतना।

त्रेतायुग में एक मायावी था ‘कुंभकरण’, वह 6 माह सोता था और 6 माह जगता है। हमारे वहां पत्रकार नेता भी कुछ कम नहीं हैं। विज्ञापन के लेन देन वाला समय अगर निकाल दें तो वह कुंभकरण से भी आगे निकल चुके हैं। दो साल में ये एक साल 11 माह सोते हैं, सिर्फ एक माह के लिए जगते हैं। वह भी चुनाव के समय। बड़े बड़े वादे करने के लिएं। इस समिति की आवश्यकता और उपयोगिता को आप समझे और समझाएं। पहले इस समिति को समझ लीजिए। दरअसल उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों की एक समिति है। इस समिति में कुल 23 सदस्य हैं। प्रत्येक दो वर्ष में इन सदस्यों का चुनाव होता है। चुने जाने के बाद यह समिति पत्रकारों के हितों के लिए क्या काम करती है, कब इसकी बैठक होती है, मुझे नहीं मालूम। पर इतना जरूरत पता है कि इस समिति का उद्देश्य पत्रकारों के हितों की रक्षा करना है। जब भी चुनाव आता है पर्चा दाखिला करने वाले पत्रकारों की लंबी लाइनें लग जाती हैं। वादों के पिटारे खोले जाते हैं। पत्रकारों के हितों की रक्षा करने की कसमें खायी जाती हैं। लच्छेदार और चासनी से भी ज्यादा मीठी बातें होती हैं। आम पत्रकारों को पहचानने वाली इनकी स्मृति भी बहुत तीव्र हो जाती है। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद ये पुन: सुप्ता अवस्था में चले जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में ये समिति एक छलावा मालूम होती है फिर इसकी जरूरत और अस्तित्व पर भी सवाल उठता है। आप सभी वरिष्ठ पत्रकारों को प्रणाम करता हूं। आप मुझपर नीले पीले हो जाना कोई फरक नहीं पड़ता लेकिन मेरे सवालों पर चिंतन जरूर करना। सवाल नंबर एक, कोरोना काल में कई मान्यताप्राप्त पत्रकार हमारे बीच नहीं रहे। मुख्यमंत्री जी ने इन पत्रकारों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने का वादा किया। सरकार का चिंतन भी ठीक था। पैसा भी मंजूर है, सुना है चेके भी बनी रखी हैं, लेकिन कई परिजनों को अब तक सहायता का इंतजार है। क्यों? क्योंकि नेता सुप्ता अवस्था में हैं। अधिकारी अनावश्यक पेन क्यों लें। सब कुछ करने के बाद भी बदनामी सरकार की ही हो रही है। सवाल नंबर दो— कहां गई पत्रकारों को आवास देने वाली स्कीम, वो ढकोसला थी क्या? कहा तो ये भी जा रहा था कि जगह भी चिन्हित हो गई है। सवाल नंबर तीन पत्रकारों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 5000 किमी तक नि:शुल्क बस यात्रा की सुविधा दी है। जानकारी के मुताबिक सूचना विभाग इसके लिए बकायदा राज्य परिवहन निगम को भुगतान भी करता है। बावजूद इसके लंबी यात्रा से पूर्व अनुमति लेने का झामा शुरू हो गया है। जबकि निगम की हर बसों में एक सीट पर बड़ा बड़ा लिखा है कि पत्रकारों के लिए आरक्षित। सवाल नंबर चार बिल्कुल हरा और ताजा है। ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना’ जिसमें मान्यताप्राप्त पत्रकारों और उनके परिजनों की चिकित्सा की नि:शुल्क व्यवस्था का वादा है। लगभग 6 माह पहले ये सिगूफा छोड़ा गया था। ये हम नहीं कह रहे बल्कि मान्यताप्राप्त पत्रकारों का एक बड़ा जत्था कह रहा है। यह चर्चा आम हो चुकी है कि पत्रकारों के लिए आई यह योजना क्या सिर्फ छलावा है, चोचलेबाजी है। सवाल उठना भी लाजमी है। 6 माह पहले पत्रकारों ने सूचना विभाग में लंबी दौड़ भाग के बाद इस योजना में रजिस्ट्रेशन कराया था, सभी को इंतजार था कि बीमा कार्ड बनकर आ रहा होगा, लेकिन उल्टा वापस आ गया रजिस्ट्रेशन फार्म। सूचना विभाग ने दो शब्दों में कह दिया कि सारे फार्म गलत हैं आप लोग फिर से फार्म भरिए। 6 माह बाद दोबारा फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुई है। कोई बोलने वाला नहीं है कोई बताने वाला नहीं है। मजे की बात देखिए सूचना विभाग को भी फार्म की पूरी जानकारी नहीं है। कोई बाबू कह रहा है कि ये काम शाची नामक एक कंपनी देख रही है कोई कह रहा है कि ये सरकारी काम है ऐसे ही कछुए की तरह चलेगा। कुछ तो ये भी कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव का इंतजार किया जा रहा है। अन्ततोगत्वा, पत्रकार नेताओं से भरोसा तो उठ ही रहा है। अब तो अधिकारियों की मंशा पर भी संदेह होने लगा है। वहीं सरकार की बेभाव जो बदनामी हो रही है वह अलग। एक छोटी सी कोशिश की आवश्यकता है। शाची कंपनी का एक वर्कर सूचना विभाग का एक वर्कर सामन्जस्व स्थापित करके एक कैंप लगा दे सारे पत्रकारों को सूचित कर दिया जाए। दो से तीन दिन में बिना किसी खिच खिच के समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन नेता सुप्ता अवस्था में हैं डायरेक्टर साहब देख नहीं रहे। सूचना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं प्रमुख सचिव तक बात कौन पहुंचाए। सरकार पर सवाल उठ रहे है। सलाहकार तो बहुत हैं पर मुख्यमंत्री जी तक ये बात कौन पहुंचाए। नमस्कार
सुयश मिश्रा पत्रकार/शोधार्थी
8924856004

 

 

जानकारी मैं कर पाया कि पदों के लिए कुल 83 पत्रकार चुनावी मैदान में उतरे है, जिनमें अध्यक्ष के एक पद के लिए 8 उम्मीदवार, सचिव के एक पद के लिए 5, कोषाध्यक्ष के एक पद के लिए 4 उम्मीदवार, उपाध्यक्ष के 3 पदों के लिए 16, संयुक्त सचिव के 3 पदों के लिए 14 और कार्यकारिणी सदस्य पद के 14 पदों के लिए 38 प्रत्याशी मैदान में हैं।

 

 

 

Related Articles

Back to top button
Close